Thursday, September 29, 2011

जाने कहाँ वो दिन छीन गए....

वो स्कूल के दोस्तों के साथ बितायी हुई हर शाम...
वो वजीराबाद के पुल पैर लगा लम्बा जाम...

वो स्कूल में मस्ती...
वो चाचा की चाय टेस्टी...

वो सेंट जेविअर्स की फुलझड़ियाँ...
वो मोरीगेट के लडको से हुई लड़ाईयां...

वो फ़तेह की कचौरी...
वो बंक कर के जाना राजौरी...

वो डी.ऊ. (दिल्ली यूनिवरसिटी) की सड़के...
जहाँ ना जाने कितनो के दिल धडके...

वो मेक 'डी (McDonald's) में की हुई फ़ालतू की बातें...
वो मेट्रो स्टेशन पैर की हुई हजारो यादगार मुलाकातें...

ऐसी ही हैं हमारी कुछ लुडलो की सुहानी यादें...!!

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